माँ बगलामुखी पूजा अनुष्ठान
देवी के दस महाविद्या स्वरुप में से एक स्वरुप माँ बगलामुखी का है. इन्हें पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है. ये स्वयं पीली आभा से युक्त हैं और इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष प्रयोग होता है. इनको स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है.
बगलामुखी का प्रायोग शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिये तथा मुकदमे में विजय के लिये इनकी उपासना अचूक है.
- इनकी पूजा तंत्र की पूजा है अतः बिना किसी गुरु के निर्देशन के नही करनी चाहिए
- इनकी पूजा कभी भी किसी के नाश के लिये न करें
- शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए, इनकी पूजा जरूर करें.
कम से कम छत्तीस हज़ार या एक लाख मंत्रो का जाप करें
- अनुष्ठान के बाद दशांश हवन भी करना आवश्यक है
मां बगलामुखी की उपासना हर कोई बताता है लेकिन पंडित निहाल जी भगवती साधक है और अभी तक उनके द्वारा जितने भी प्रयोग अनुष्ठान किये है इसमें भगवती की कृपा हुई है और सफलता भी प्राप्त हुई है
बगलामुखी साधना के दौरान हवन में दूधमिश्रित तिल व चावल डालने पर धन, संपत्ति और एश्वर्य की प्राप्ति होती है।
गुग्गुल और तिल से हवन करने पर जेल के बंधन या शत्रु के नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
शहद मिला तिल या सरसों से हवन करने से अभीष्ट व्यक्ति वशीभूत हो जाता है। वशीकरण का यह उपाय बहुत ही अचूक परिणाम देता है।
हरिताल, नमक और हल्दी से हवन करने से शत्रुओं को निष्प्रभावित किया जाता है।
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