9575898658

महामृत्युंजय मंत्र

 ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

महामृत्युंजय पूजा विशेष

महामृत्युंजय मंत्र वेदों में सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद का एक श्लोक है जो की भगवान शिव के मृत्युंजय स्वरुप को समर्पित है, यह मन्त्र तीन स्वरूपों में है, (1) लघु मृत्युंजय मंत्र (2) महा मृत्युंजय मंत्र एवं (3) संपुटयुक्त महा मृत्युंजय मंत्र,



महा मृत्युंजय मंत्र के प्रत्येक अक्षर का अर्थ
!!ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!

त्रयंबकम = त्रि-नेत्रों वाला यजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देय सुगंधिम= मीठी महक वाला, सुगंधित पुष्टि = एक सुपोषित स्थिति,फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता वर्धनम = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है,स्वास्थ्य, धन, सुख में वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है, और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा माली उर्वारुकम= ककड़ी इव= जैसे, इस तरह बंधना= तना मृत्युर = मृत्यु से मुक्षिया = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें मा= न अमृतात= अमरता, मोक्ष
संपर्क9575898658



महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ


समस्त संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले शिव की हम अराधना करते हैं। विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव मृत्यु न कि मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं।|| इस मंत्र का विस्तृत रूप से अर्थ ||हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं,उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए.जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं, तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं.


महा मृत्युंजय मंत्र जप विधान


महा मृत्युंजय मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला पर सोमवार से शुरू किया जाता है. महा मृत्युंजय मंत्र को अपने घर पर महामृत्युंजय यन्त्र या किसी भी शिवलिंग का पूजन कर शुरू किया जा सकता सुबह के समय किसी शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग का पूजन करें और घी का दीपक लगाकर जप पूर्ण मनोयोग से शुद्ध उच्चरण के साथ निरंतर नहीं कर सकते इसलिए इस महामंत्र को आप विशुद्ध अंतःकरण वाले ब्राह्मण के द्वारा करवा कर समान पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते है।


महा मृत्युंजय मंत्र जप किसे करवाना चाहिए


जिन प्राणियों को ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, रोग, जमीन-जायदाद का विवाद, हानि की सम्भावना या धन-हानि हो रही हो, वर-वधू के मेलापक दोष, घर में कलह, सजा का भय या सजा होने पर, कोई धार्मिक अपराध होने पर और अपने समस्त पापों के नाश के लिए महामृत्युंजय या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया या कराया जा सकता है.


महामृत्युंजय मंत्र का क्या लाभ है ?


महामृत्युंजय मंत्र शोक, मृत्यु भय, अनिश्चता, रोग, दोष का प्रभाव कम करने में, पापों का सर्वनाश करने की क्षमता रखता है.महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना या करवाना सबके लिए और सदैव मंगलकारी है,परन्तु ज्यादातर तो यही देखने में आता है कि परिवार में किसी को असाध्य रोग होने पर अथवा जब किसी बड़ी बीमारी से उसके बचने की सम्भावना बहुत कम होती है, तब लोग इस मंत्र का जप अनुष्ठान कराते हैं.


महामृत्युंजय मंत्र का जाप के प्रति गलत धारणा


इस मंत्र का मूल अर्थ ही यही है कि हे महादेव..या तो रोगी को ठीक कर दो या तो फिर उसे जीवन मरण के बंधनों से मुक्त कर दो. अत: रोगी के ठीक न होने पर भी पछताना या कोसना नहीं चाहिए, जगत के स्वामी बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती आप सबकी मनोकामना पूर्ण करें. सम्पर्क9575898658
Apply Now  More Details